नीतिवचन ११:१, ३ छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है। 2 जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है। 3 सीधे लोग अपनी खराई से अगुआई पाते हैं, \\ Proverbs 11:1, 3 Jehovah hates deceitful scales,But he is pleased with the whole ass. 2 When there is pride, there is also humiliation.But the meek have wisdom.3 The upright are guided by their integrity,

पहले भाग में, "छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है" हमें यह बताता है कि हमारे परमेश्वर की नैतिक ईमानदारी और सच्चाई की महत्वपूर्णता क्या है। यह वाक्य हमें सिखाता है कि हमें सत्य और धार्मिकता में प्रामाणिक रहना चाहिए, क्योंकि ईश्वर छल से घृणा करता है, लेकिन उसे पूरी ईमानदारी और साहसिकता से प्रसन्नता मिलती है।

इस वाक्य के माध्यम से हमें यह भी बताया जाता है कि बुराई का अभ्यास और छल का उपयोग हमें ईश्वर के नजदीक नहीं ले जाता। धार्मिकता, ईमानदारी और न्याय के मार्ग पर चलने से ही हम ईश्वर के साथ संबंध में अधिक गहराई से जुड़ सकते हैं।

दूसरे भाग में, "जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है" हमें स्वयं के अभिमान और गर्व की नुकसानदायकता का ज्ञान देता है। यह वाक्य हमें सिखाता है कि हमें गर्व को छोड़कर समानता और सहिष्णुता की ओर बढ़ना चाहिए। अभिमान में रहकर हम अपने आपको अन्य लोगों के साथ अप्रिय बना सकते हैं, लेकिन नम्रता और सहिष्णुता से हम उन्नति और समृद्धि का मार्ग चुन सकते हैं।

यह वाक्य हमें यह भी सिखाता है कि नम्रता और समझदारी से हमें समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद मिलती है। अभिमान और गर्व की अधिकता हमें अपने आप को अन्यों से ऊंचा मानने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन इसका परिणाम अक्सर अपमान और संघर्ष होता है। अभिमानी व्यक्ति अक्सर अपने आप को सच्चाई से बाहर रखता है, जो उनकी बुद्धि और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। उन्हें अकेले उस गली में चलते हुए देखा जा सकता है जो अंततः उन्हें अपमान और असफलता की ओर ले जाती है। वे अक्सर दूसरों की बातों को सुनने में असमर्थ होते हैं, और अपने अभिमान के कारण जानबूझकर अपमानित होते हैं।

विपरीत, नम्रता और समझदारी हमें और अधिक सफलता की ओर ले जाती है। नम्रता हमें अपने स्थान को समझने और दूसरों के साथ समन्वय बनाए रखने में मदद करती है। यह हमें अधिक खुशहाल, संवेदनशील, और संयमित बनाती है, जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक सफल हो सकते हैं। नम्रता हमें और अधिक संवेदनशील बनाती है, जिससे हम अपने अन्दर के ताकत को खोजने में सक्षम होते हैं और अपनी अधिक उच्चता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

एक संतुलित और सही स्थिति में नम्रता हमें अपने स्वार्थ को प्राथमिकता नहीं देने के लिए प्रेरित करती है, और हमें अधिक विचारशील बनाती है। यह हमें अधिक सहजता के साथ अपने समस्याओं का सामना करने में मदद करती है, और हमारे विचारों को अधिक विकसित और स्पष्ट बनाती है। आध्यात्मिकता में नम्रता का महत्व बड़ा है। जब हम नम्रता के साथ जीते हैं, हम अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और उन्हें सुधारने के लिए तत्पर होते हैं। नम्रता हमें अपनी कमियों को स्वीकार करने और सीखने के लिए खुला बनाती है, जिससे हम अपने आप को स्वतंत्र रूप से सुधार सकते हैं। यह हमें उत्कृष्टता की दिशा में बढ़ावा देती है और हमें अधिक सफल बनाती है।

नम्रता और समझदारी से युक्त व्यक्ति आत्म-विकास में भी प्रगति करते हैं। वे अपनी गलतियों से सीखते हैं और अपने विकास के लिए समाधान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, वे अपने आत्मा के संबंध में अधिक उत्सुक और संवेदनशील होते हैं, जो उन्हें अपने उद्देश्यों तक पहुंचने में मदद करता है।

सीधापन और नम्रता सफलता के मार्ग में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह गुण हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में ले जाते हैं। वे हमें अपनी कार्रवाई के परिणामों को स्वीकार करने की क्षमता प्रदान करते हैं, जिससे हम अपने उद्देश्यों की ओर अधिक गंभीरता से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

इस प्रकार, "नीतिवचन ११:१, ३" के वाक्य हमें यह सिखाते हैं कि नम्रता और समझदारी किसी भी क्षेत्र में सफलता के मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह गुण हमें अपने गलतियों से सीखने की क्षमता प्रदान करते हैं, हमारी विचारशीलता और नैतिकता को मजबूत करते हैं, और हमें अपने उद्देश्यों की ओर अधिक समर्पित और प्रेरित करते हैं।

नीतिवचन 11:1, 3 में, राजा सुलैमान तीन महत्वपूर्ण सत्यों की शिक्षा देता है।

1. छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है।

इसका अर्थ है कि ईश्वर धोखाधड़ी और अन्याय से घृणा करता है, चाहे वह व्यापार में हो, रिश्तों में हो, या जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो। वह चाहता है कि हम ईमानदारी और निष्पक्षता से व्यवहार करें, और दूसरों के साथ उचित व्यवहार करें।

2. जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है।

इसका अर्थ है कि घमंड और अहंकार विनाश का मार्ग है। जब हम अपने बारे में बहुत अधिक सोचते हैं, तो हम दूसरों को ठेस पहुंचाते हैं और गलतियां करते हैं। इसके विपरीत, नम्रता बुद्धि का मार्ग है। जब हम विनम्र होते हैं, तो हम दूसरों से सीखने के लिए खुले होते हैं और बेहतर निर्णय लेते हैं।

3. सीधे लोग अपनी खराई से अगुआई पाते हैं, परन्तु जो डाह करते हैं वे अपने ही षडयंत्र में फंस जाते हैं।

इसका अर्थ है कि जो लोग ईमानदार और सच्चे होते हैं, वे जीवन में सफल होते हैं। उनकी ईमानदारी उन्हें सही मार्गदर्शन देती है और उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करती है। इसके विपरीत, जो लोग दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, वे अपने ही नकारात्मक विचारों और योजनाओं में फंस जाते हैं।

इन तीनों सत्यों को समझने और उनका पालन करने से हमें जीवन में सफलता और खुशी मिल सकती है।

नीतिवचन 11:1, 3 के बारे में कुछ अतिरिक्त टिप्पणियां:

छल के तराजू: व्यापार में धोखाधड़ी करने का एक तरीका।

पूरा बटखरा: ईमानदारी और निष्पक्षता का प्रतीक।

अभिमान: घमंड और अहंकार।

नम्रता: विनम्रता और विनम्रता।

सीधे लोग: ईमानदार और सच्चे लोग।

डाह: ईर्ष्या और द्वेष।

यह महत्वपूर्ण है कि हम इन सत्यों को याद रखें और उन्हें अपने जीवन में लागू करें।

नीतिवचन 11:1, 3 के बारे में अधिक जानने के लिए, आप निम्नलिखित resources का उपयोग कर सकते हैं 

यह भी ध्यान रखें कि नीतिवचन 11:1, 3 केवल कुछ उदाहरण हैं जो हमें सच्चे जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।  नीतिवचन में कई अन्य महत्वपूर्ण सत्य भी हैं जो हमें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

अंत में, यह महत्वपूर्ण है कि हम इन सत्यों को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी लागू करें। जब हम दूसरों के साथ ईमानदारी, निष्पक्षता और विनम्रता से व्यवहार करते हैं, तो हम दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं।




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